राहुरी : पुढारी वृत्तसेवा : मला तुझ्यासोबत संबंध ठेवायचे आहेत. मी सांगेल ते ऐक, असे म्हणून 40 वर्षीय महिलेचा विनयभंग करून तिला धक्काबुक्की करण्यात आली. ही घटना दिनांक 28 जून रोजी राहुरी तालुक्यातील गडदे आखाडा येथे घडली. एका 40 वर्षीय विवाहित महिलेने पोलिसांत दिलेल्या फिर्यादीत म्हटले आहे की, दिनांक 28 जून रोजी सकाळी साडेअकरा वाजेच्या …
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संगमनेर शहर : पुढारी वृत्तसेवा : नगर जिल्ह्यातील तीनही मोठ्या धरणांच्या पाणलोटात पावसाने हजेरी लावली आहे. जिल्ह्यासाठी जीवनदायी ठरलेल्या भंडारदरा धरणाचा पाणीसाठाही कासवगतीने वाढू लागला आहे. गेल्या चोवीस तासांत पाणलोटातील पावसाचा वेग काहीसा मंदावला आहे. भंडारदरा धरणाच्या जलसाठ्यात 169 दशलक्ष घनफुटांची भर पडली आहे. मुळा, भंडारदरा व निळवंडे या तीनही मोठ्या धरणांसह बहुतेक सर्वच धरणांच्या पाणलोटात …
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महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार पर मंडरा रहे संकट के बीच बीजेपी भी काफी एक्टिव हो गई है। इसे लेकर एक टीवी डिबेट में जब एंकर ने सवाल किया तो बीजेपी प्रवक्ता के के शर्मा बोले कि हम खरीद फरोख्त नहीं करते, लेकिन अगर खुद कोई समर्थन दे तो उसमें क्या बुराई है।
उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र में ऐसी कोई स्थिति है और हम सबसे बड़े विपक्षी दल हैं, तो हमारा ये दायित्व बनता है। उन्होंने कहा, “वहां की जनता ने हमें जनमत दिया है, तो हम क्या पीछे भाग जाएं। जनता के समर्थन का सम्मान नहीं करेंगे? अगर हमें सेवा करने का मौका मिलता है तो 100 प्रतिशत करेंगे।”
वहीं, 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 13 दिन बाद ही केंद्र में सत्ता छोड़ने और 1999 में दोबारा चुनाव कराने की बात याद कराते हुए एंकर ने कहा कि 25-30 सालों में बीजेपी के चालचरित्र चहेरे में काफी बदलाव आया है। इस पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि दोनों घटनाओं और इस घटना में अंतर है। उन्होंने कहा कि माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने भरे सदन में कहा था कि अगर 1 वोट से मेरी सरकार जाती हो तो जाए, लेकिन हम खरीद फरोख्त नहीं करेंगे, आज भी हम कहते हैं कि खरीद फरोख्त नहीं करेंगे, लेकिन अगर हमें समर्थन मिलेगा तो लेंगे।
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने विभिन्न राज्यों में पिछले कुछ सालों में हुए तख्तापलट को लेकर बीजेपी पर हमला बोला और एक मशविरा भी दिया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि संविधान के अंदर दो-तिहाई बहुमत से ये अमेंडमेंट पास कर देना चाहिए कि इस देश के अंदर जो सत्ता पक्ष है उसकी सरकारें ही सारे राज्यों में रहेंगी और वो सबको मान लेना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “कर्नाटक में सरकार बनती है आप गिरा देते हैं, मध्य प्रदेश में सरकार बनती है आप गिरा देते हैं, राजस्थान में सरकार बनती है तो उसको गिराने की कोशिश करते हो, झारखंड की सरकार को गिराने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र सरकार तकरीबन गिर गई है। उत्तराखंड में सरकार थी वो गिराई गई सुप्रीम कोर्ट ने उसको पलटा। अरूणाचल प्रदेश में सरकार थी वो भी गिराई गई। अब ये जो विधायक अचानक इधर-उधर जा रहे हैं क्या सबकी अंतरआत्मा अचानक से जाग जाती है। लोकतंत्र का सबसे बड़ा सवाल यही है।”
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस परदीवाला की बेंच सभी पक्षों की दलीलों को 3 घंटे से ज्यादा वक्त तक सुना। उसके बाद फैसले को रात 9 बजे तक टाल दिया। फिर से बेंच बैठी तो सपाट फैसले में कहा कि फ्लोर टेस्ट पर वो रोक नहीं लगा रहे हैं। राज्यपाल ने जो आदेश दिया था उस पर अमल किया जाए। राज्यपाल ने गुरुवार सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था।
शिवसेना नेता सुनील प्रभु की तरफ से पैरवी कर रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि मंगलवार शाम को देवेंद्र फडणवीस गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिलते हैं और बुधवार सुबह फ्लोर टेस्ट का आदेश जारी हो जाता है। उनका कहना था कि राकांपा के दो विधायक कोविड संक्रमित हैं और कांग्रेस के एक विधायक फिलहाल देश के बाहर हैं। उनका कहना था कि सुपरसॉनिक स्पीड से फ्लोर टेस्ट का आदेश जारी किया गया है। जबकि इसके जरिए ही पता लगाया जा सकता है कि कौन सी सरकार लोगों की इच्छा से बनी है।
सिंघवी का कहना था कि 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग पर अभी स्पीकर का फैसला आना बाकी है। अगर ये विधायक अयोग्य घोषित कर दिए जाते हैं तो असेंबली का गणित ही बदल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि अयोग्यता का मसला उनके पास लंबित है। हमें फैसला करना है कि स्पीकर का नोटिस वैध है भी या नहीं। लेकिन उस मामले की वजह से फ्लोर टेस्ट पर क्या असर पड़ने जा रहा है।
शिवसेना के वकील का कहना था कि एक तरफ कोर्ट ने अयोग्यता वाले मसले को लंबित रख दिया वहीं दूसरी तरफ फ्लोर टेस्ट कराया जा रहा है। ये दोनों ही बातें एक दूसरे की विरोधाभाषी हैं। उनका कहना था कि सारे मसलों पर कोर्ट ने 11 जुलाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। ऐसे में कल अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो इससे गलत संदेश जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि क्या आप इस बात को नहीं मानते की शिवसेना के 34 विधायकों ने उद्धव ठाकरे से अलग होने की चिट्ठी दस्तखत करके भेजी है। सिंघवी का कहना था कि इसकी पुष्टि कैसे की जा सकती है। गवर्नर से एक सप्ताह तक चिट्ठी को अपने पास रखा और फिर जब नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस उनसे मिले तो वो हरकत में आ गए। उनका कहना था कि गवर्नर का हर फैसला अब कानूनी बहस का विषय है।
सिंघवी का कहना था कि बागी विधायक पहले सूरत गए और फिर गुवाहाटी। वहां से वो ईमेल के जरिए अपनी बात कह रहे हैं। उन्हें स्पीकर पर भी भरोसा नहीं। दूसरी तरफ गवर्नर खुद कोविड संक्रमित रहे थे। लेकिन बीजेपी नेता से मिलते ही वो फौरन हरकत में आ गए। जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उनका कहना था कि जो विधायक दल बदल कर रहे हैं वो कैसे लोगों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। कल अगर फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
एडवोकेट नीरज किशन कौल ने शिंदे गुट की पैरवी करते हुए कहा कि पहला सवाल ये है कि स्पीकर को हटाया जाए या नहीं। जब आपकी वैधता ही सवालों के दायरे में हो तो आप ऐसे मामलों का फैसला कैसे कर सकते हैं। उन्होंने संवैधानिक बेंच के फैसका हवाला देकर कहा कि स्पीकर को अथॉरिटी नहीं है। इस मामले में गवर्नर को सारे अधिकार हैं। जब तक कि उन्हें गलत नीयत का दोषी न ठहरा दिया जाए। उनका कहना था कि सारे फ्लोर टेस्ट से खुश हैं केवल सरकार को छोड़कर।
गवर्नर की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि डिप्टी स्पीकर ने बागी विधायकों को दो दिन का नोटिस दिया था। अब ये लोग ही सवाल उठा रहे हैं कि गवर्नर ने फ्लोर टेस्ट के लिए केवल 24 घंटे का नोटिस दिया है। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि बागी गुट को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं। इस पर कोर्ट ने कहा- इमोशनल बयान।
महाराष्ट्र सरकार में चल रहे सियासी संकट के बीच एनसीपी नेता बृज मोहन श्रीवास्तव ने बगावती रुख अख्तियार कर गुवाहाटी पहुंचे शिवसेना के विधायकों के लिए बागी शब्द का इस्तेमाल ना करने को कहा है।
महाराष्ट्र संकट को लेकर हो रही एक डिबेट में एनसीपी नेता ने इन विधायकों पर तंज कसते हुए कहा कि इन्हें असंतुष्ट विधायक कहें क्योंकि बागी शब्द डाकुओं के लिए इस्तेमाल होता है, इससे उनकी थोड़ी बहुत जो इज्जत बची है वो रह जाएगी।
उन्होंने कहा, “उन 40 विधायकों के लिए बागी शब्द का इस्तेमाल ना करें क्योंकि मेरे पास भिंड और मुरैना से फोन आ रहा था कि वहां, डाकुओं को बागी बोला जाता है। तो आप बागी बोल रहे हो ये डाकू लोग हैं क्या? मैं ये चाहता हूं कि असंतुष्ट विधायक शब्द इस्तेमाल करें इससे जो थोड़ी बहुत इज्जत बची है वो तो रह जाए।”
उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए कहा, “बागी विधायकों के आने-जाने, खाने और रहने पर जो खर्च हो रहा है, मैं सोचता हूं कि जो जिम्मेदार लोग हैं चालचरित्र चेहरे की बात करने वाली पार्टी है, जो कहती थी हम भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे। आज उनके सामने भी मौका आ गया कि ये जो खर्चा हुआ है ये देश के सामने लेकर आएं।”
वहीं, महाविकास अघाड़ी सरकार पर संकट गहराता जा रहा है। इस पर एनसीपी नेता ने कहा कि सरकार जाने वाली है या रुकने वाली है ये शायद इस रेस से बाहर है मामला। उन्होंने कहा, “अभी तो तय होना है कि माननीय उच्च न्यायालय इस पर क्या फैसला देगी। ये बात भी सच है कि पूरे हिंदुस्तान की नजर इस पर टिकी है क्योंकि महाराष्ट्र भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। हमारी संवैधानिक संस्थाएं भी दांव पर हैं, उनकी प्रतिषठा भी दांव पर और उनकी जो भूमिका है वो भी प्रश्नचिन्ह लेकर खड़ी है।”
बृज मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होगा उसके अनुसार ही विधानसभा में कार्रवाई होगी, अगर वो कहते हैं कि शक्तिपरीक्षण होना है तो करना होगा, लेकिन ये सच है कि 7-8 दिन की इस पूरी प्रक्रिया ने चर्चा का नया केंद्र खड़ा कर दिया है।
महाराष्ट्र सरकार में चल रहे सियासी संकट के बीच एनसीपी नेता बृज मोहन श्रीवास्तव ने बगावती रुख अख्तियार कर गुवाहाटी पहुंचे शिवसेना के विधायकों के लिए बागी शब्द का इस्तेमाल ना करने को कहा है।
महाराष्ट्र संकट को लेकर हो रही एक डिबेट में एनसीपी नेता ने इन विधायकों पर तंज कसते हुए कहा कि इन्हें असंतुष्ट विधायक कहें क्योंकि बागी शब्द डाकुओं के लिए इस्तेमाल होता है, इससे उनकी थोड़ी बहुत जो इज्जत बची है वो रह जाएगी।
उन्होंने कहा, “उन 40 विधायकों के लिए बागी शब्द का इस्तेमाल ना करें क्योंकि मेरे पास भिंड और मुरैना से फोन आ रहा था कि वहां, डाकुओं को बागी बोला जाता है। तो आप बागी बोल रहे हो ये डाकू लोग हैं क्या? मैं ये चाहता हूं कि असंतुष्ट विधायक शब्द इस्तेमाल करें इससे जो थोड़ी बहुत इज्जत बची है वो तो रह जाए।”
उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए कहा, “बागी विधायकों के आने-जाने, खाने और रहने पर जो खर्च हो रहा है, मैं सोचता हूं कि जो जिम्मेदार लोग हैं चालचरित्र चेहरे की बात करने वाली पार्टी है, जो कहती थी हम भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे। आज उनके सामने भी मौका आ गया कि ये जो खर्चा हुआ है ये देश के सामने लेकर आएं।”
वहीं, महाविकास अघाड़ी सरकार पर संकट गहराता जा रहा है। इस पर एनसीपी नेता ने कहा कि सरकार जाने वाली है या रुकने वाली है ये शायद इस रेस से बाहर है मामला। उन्होंने कहा, “अभी तो तय होना है कि माननीय उच्च न्यायालय इस पर क्या फैसला देगी। ये बात भी सच है कि पूरे हिंदुस्तान की नजर इस पर टिकी है क्योंकि महाराष्ट्र भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। हमारी संवैधानिक संस्थाएं भी दांव पर हैं, उनकी प्रतिषठा भी दांव पर और उनकी जो भूमिका है वो भी प्रश्नचिन्ह लेकर खड़ी है।”
बृज मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होगा उसके अनुसार ही विधानसभा में कार्रवाई होगी, अगर वो कहते हैं कि शक्तिपरीक्षण होना है तो करना होगा, लेकिन ये सच है कि 7-8 दिन की इस पूरी प्रक्रिया ने चर्चा का नया केंद्र खड़ा कर दिया है।
कर्जत : कुकडी प्रकल्पातील डिंभे-माणिकडोह या बहुप्रतिक्षीत बोगद्याला शासनाने मान्यता दिली आहे. यामुळे पावसाळ्यात डिंभे धरणातून वाहून जाणारे पावसाचे अतिरिक्त पाणी हे या बोगद्याद्वारे माणिकडोह धरणात साठवता येणार असून यामुळे कर्जतसह पारनेर, श्रीगोंदा, कर्जत आणि करमाळा या तालुक्यांना कुकडी प्रकल्पातून एक अतिरिक्त आवर्तन मिळणार आहे. डिंभे-माणिकडोह बोगदा करण्याचा प्रश्न अनेक वर्षांपासून प्रलंबित होता. आमदार रोहित …
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शिवसेना आमदार संजय राठोड यांनी शिवसेनेशी गद्दारी केल्याचा आरोप करत शिवसैनिकांनी राठोडांविरोधात दंड थोपटले आहेत. शिवसेनेचे यवतमाळ जिल्हाप्रमुख राजेंद्र गायकवाड यांनी संजय राठोड यांचे पूजा चव्हाण आत्महत्या प्रकरणातील पुरावे समोर आणणार असल्याचं म्हटलंय. तसेच या प्रकरणातील ५६ मिनिटांची एक सीडी माझ्याकडे असल्याचा दावा राजेंद्र गायकवाड यांनी केला आहे. या सीडीतून बंजारा समाजाची मुलीला संजय राठोड यांनी कसं मारलं हे उघड होईल, असाही दावा गायकवाड यांनी केलाय.
राजेंद्र गायकवाड म्हणाले, “पूजा चव्हाण या बंजारा समाजाच्या तरुणीला मारून संजय राठोड यांनी बंजारा समाजाशी बेईमानी केली. संजय राठोड यांनी पूजा चव्हाणवर कसे अत्याचार केले हे आम्हाला माहिती आहे. आम्ही त्याचा पर्दाफाश करू.”
“राठोड विरुद्ध गळा काढणाऱ्या चित्रा वाघ व इतर भाजपा नेते आता त्यांच्या मांडीला मांडी लावून कसे बसणार असा सवालही गायकवाड यांनी केला. संजय राठोड यांनी गुवाहाटीतून मातोश्रीवर यावे आणि माफी मागावी अन्यथा त्यांना जिल्ह्यात फिरु देणार नाही, असा इशाराही यावेळी शिवसैनिकांनी दिला.
Mukesh Ambani resigns from Reliance Jio: देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी रिलांयस जियो (Reliance Jio) के डायेक्टर पद से मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने इस्तीफा दे दिया है। वहीं उनके बेटे आकाश अंबानी को जियो का नया चेरमैन बनाया गया है। मार्केट रेगुलेटरी सेबी (SEBI) को दी गई जानकारी के अनुसार, रिलायंस जियो ने बताया कि 27 जून 2022 को बोर्ड की मीटिंग रखी गई थी। इसमें जियो के बोर्ड ने नए चेयरमैन के रूप में आकाश अंबानी के नाम की मंजूरी दे दी है।
सेबी के पास दी गई जानकारी में बताया गया है कि 27 जून को मुकेश अंबानी ने डारेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पंकज मोहन पवार 27 जून से कंपनी के प्रबंध निदेशक का पदभार संभाल रहे हैं। रिलायंस जियो के नए मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में पंकज मोहन पवार को नियुक्त किया गया है। यह अगले पांच साल तक इस पद को संभालेंगे। इसके अलावा अन्य नियुक्तियों में रमिंदर सिंह गुजराल और केवी चौधरी को स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किया गया।
साल 2021 के एक बयान में मुकेश अंबानी ने कहा था कि उनके बच्चे लीडर के रूप में अधिक जिम्मेदारियां ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने बच्चों में देश के विकास में योगदान देने के लिए अपने पिता धीरूभाई अंबानी जैसी क्षमता देख सकते हैं।
आकाश अंबानी के बारे में कुछ खास बातें
शिक्षा: आकाश अंबानी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रजुएशन किया है। इसके बाद वे रिलायंस ग्रुप की डिजिटल सेवाओं और यजर्स रिटेल ऑफर्स जैसी सुविधा देने और तैयार करने में योगदान रहा है।
4G: आकाश अंबानी का जियो 4G प्रस्ताव में भी योगदान रहा है। वह 2017 में भारत-स्पेसिफिक फोकस वाले जियोफोन का आविष्कार करने और लॉन्च करने में इंजीनियरों की एक टीम के साथ शामिल रहे हैं।
इन चीजों में दिलचस्पी: इसके अलावा वे व्यक्तिगत रूप से पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल स्पेस में Jio द्वारा किए गए प्रमुख कंपनियों के अधिग्रहणों का भी नेतृत्व किया है। आकाश AI-ML और ब्लॉकचेन सहित नई तकनीकों और क्षमताओं के विकास में भी गहरी दिलचस्पी रखते हैं। आकाश 2020 में टेक की बड़ी कंपनियों और निवेशकों की ओर से वैश्विक निवेश में शामिल थे, जिसने कई तरह से Jio को वैश्विक निवेशक मानचित्र पर पहुंचाया है।
मोहम्मद जुबैर ऑल्ट न्यूज फैक्ट चेकिंग वेबसाइट के को-फाउंडर को दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने गिरफ्तार किया। मंगलवार को दिल्ली पुलिस की साइबर टीम के अधिकारियों ने बताया कि AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ प्राथमिकी एक सप्ताह पहले ही दर्ज की गई थी। मामले में शिकायतकर्ता सब-इंस्पेक्टर अरुण कुमार हैं जो इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस सेल (IFSO) के साथ काम करते हैं। आपको बता दें कि ये स्पेशल सेल के तहत काम करता है और साइबर क्राइम और साइबर फोरेंसिक के मामलों को देखता है।
कुमार की शिकायत के बाद 20 जून को आईपीसी की धारा 153-ए जिसके मुताबिक विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और धारा 295-ए इसके मुताबिक दुर्भावनापूर्ण कृत्य और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में कहा गया है कि कुमार सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल के आपातकालीन ड्यूटी अधिकारी के रूप में ड्यूटी पर थे और एक ट्विटर हैंडल हनुमान भक्त @balajikijaiiin के एक ट्वीट पर आए।
सब-इंस्पेक्टर अरुण कुमार ने खुद दर्ज करवाई थी शिकायत
कुमार ने बताया उन्होंने शिकायत में लिखा था। “आज, मैं दिल्ली पुलिस, द्वारका की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई में एक आपातकालीन अधिकारी के रूप में मौजूद था और सोशल मीडिया निगरानी के दौरान मुझे इस बात का पता चला कि हनुमान भक्त नाम के एक ट्विटर हैंडल एक अन्य ट्विटर हैंडल के खिलाफ एक ट्वीट साझा किया मोहम्मद जुबैर @zoo_bear जिसमें यह ट्वीट किया गया है मोहम्मद जुबैर ने ‘2014 से पहले हनीमून होटल, 2014 के बाद हनुमान होटल … और एक होटल के साइन बोर्ड की तस्वीर दिखाई है, हनीमून होटल को हनुमान होटल में बदल दिया गया है। बोर्ड का कथित स्क्रीनशॉट 1983 की हिंदी फिल्म का है।
मामला संवेदनशील था इस वजह से नहीं अपलोड किया गया
कुमार ने आगे कहा, भक्त @balajikijaiiin ने ट्वीट किया है कि हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ना हिंदुओं का सीधा अपमान है क्योंकि वह ब्रह्मचारी हैं। कृपया इस आदमी के खिलाफ कार्रवाई करें। कुमार ने यह भी कहा कि मामले की जांच उनके पास होनी चाहिए और प्राथमिकी उनकी वेबसाइट पर अपलोड नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इस शिकायत का नेचर थोड़ा संवेदनशील है।
एक विशेष धर्म समुदाय के खिलाफ थे शब्द
अपनी शिकायत में उन्होंने यह भी कहा, “ये शब्द और तस्वीर मोहम्मद जुबैर @zoo_bear द्वारा एक विशेष धार्मिक समुदाय के खिलाफ इस्तेमाल की गई और लोगों के बीच नफरत की भावना को भड़काने के लिए अत्यधिक उत्तेजक और पर्याप्त से अधिक है जो रखरखाव के लिए हानिकारक हो सकता है। समाज में सार्वजनिक शांति। इस तरह के पोस्ट का प्रसारण और प्रकाशन जानबूझकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से किया गया है मोहम्मद जुबैर @zoo_bear शांति भंग को भड़काने के इरादे से एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के लिए जो धारा 153-ए और 295 के तहत अपराध का है। ट्विटर हैंडल मोहम्मद जुबैर @zoo_bear से पोस्ट अपराध 153-ए और 295 बनाया गया है। कुमार ने जिस जुबैर के ट्वीट का जिक्र किया वह 2018 में पोस्ट किया गया था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जुबैर के समर्थन में किया ट्वीट
ऑल्ट न्यूज के संपादक की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है, बीजेपी की नफरत, कट्टरता और झूठ को उजागर करने वाला हर शख्स उनके लिए खतरा है. सत्य की एक आवाज को गिरफ्तार करने से केवल एक हजार और पैदा होंगे। अत्याचार पर सत्य की हमेशा विजय होती है। #DaroMat
जुबैर को एक दिन की हिरासत में भेजा गया
पुलिस के अनुसार उसे एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है और मंगलवार के बाद जमानत पर सुनवाई के लिए उसे अदालत में पेश किया जाएगा। इस महीने की शुरुआत में जुबैर ने तत्कालीन बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर की गई टिप्पणियों पर प्रकाश डाला था। जिसकी खाड़ी देशों सहित कई देशों ने निंदा की थी। जिसकी वजह से बीजेपी को नूपुर शर्मा को निलंबित करना पड़ा और एक अन्य प्रवक्ता नवीन जिंदल को बर्खास्त करना पड़ा।
सोशल मीडिया पर एक धड़ा इस तस्वीर का मजाक उड़ाने में लगा था
IFSO डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने सोमवार को बताया था, “दिल्ली पुलिस ने एक ट्विटर हैंडल से शिकायत मिलने के बाद एक मामला दर्ज किया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि मोहम्मद जुबैर ने एक भगवान की तस्वीर को जानबूझकर अपमान करने के उद्देश्य से ट्वीट किया था। इस तरह के ट्वीट्स को रीट्वीट किया जा रहा था और ऐसा मालूम हो रहा था कि सोशल मीडिया संस्थाओं की एक ब्रिगेड है जो इस तस्वीर का अपमान करने में लिप्त हैं। जिससे सांप्रदायिक सद्भाव पर संभावित प्रभाव पड़ता है और यह सार्वजनिक शांति बनाए रखने के खिलाफ है। ”
Teesta Setalvad Case पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का असली चेहरा सामने आया है। वो पीड़ितों के दर्द का भाव लगाते हैं, ताकि रुपए कमाएं, वो फंसाने के लिए झूठे हलफनामे देते हैं।
गौरव भाटिया ने कहा कि अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने एक एफआईआर दर्ज की और तीस्ता सीतलवाड़ नाम की महिला, जो खुद को चैंपियन ऑफ ह्यूमन राइट्स कहती है, उनका सच सामने आया। तीस्ता सीतलवाड़ केवल संप्रदायिक नफरत फैलाने की छोटी ब्रांच थीं, उसका हेडक्वार्टर कांग्रेस पार्टी में था।
भाटिया ने कहा, ‘तिस्ता सीतलवाड़ के साथ रहे उनके एक साथी के बयानों से स्पष्ट हुआ है कि ये लोग पीड़ित परिवारों के न्याय की लड़ाई नहीं लड़ रहे। इनका निशाना तो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पारी को खत्म करना था।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक ऐतिहासिक फैसला 24 जून, 2022 को दिया गया, जिसमें जाकिया जाफरी द्वारा प्रस्तुत याचिका को खारिज किया गया। इस फैसले के बाद कुछ टिप्पणियां की गई, जिनसे मानवाधिकार की रक्षा करने का ठेका लेकर बैठे कुछ लोगों का असली चरित्र सामने आया। उन्होंने कहा कि विगत दो दशकों से एक राजनीतिक षडयंत्र और प्रयास विश्व के सबसे सम्मानित नेता नरेंद्र मोदी के खिलाफ चलाया जा रहा था। इसका संज्ञान लेकर सर्वोच्च अदालत ने लेकर ये टिप्पणी की।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस की सुप्रीम कोर्ट में आस्था भी सुविधा के अनुसार होती है। जब ये फैसला आया तो जयराम रमेश के एक ट्वीट को कांग्रेस ने रि-ट्विट किया कि “जाकिया जाफरी केस में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अत्यंत निराशाजनक है”।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (24 जून, 2022) को अपने आदेश में 2002 के गोधरा दंगों के मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी और अन्य को विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। सीतलवाड़ के गैर सरकारी संगठन (NGO) ने जकिया जाफरी का समर्थन किया था, जिन्होंने अपनी कानूनी लड़ाई के दौरान दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी। जकिया के पति और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी दंगों के दौरान मारे गए थे।
कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़? सीतलवाड़ का जन्म 9 फरवरी 1962 को मुंबई में हुआ था। वो एक गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता अतुल सीतलवाड़, एक वकील हैं और उनकी मां का नाम सीता सीतलवाड़ है। उनके दादा एम. सी. सीतलवाड़, भारत के पहले महान्यायवादी थे। सीतलवाड़ ने पत्रकार से अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता बने जावेद आनंद से शादी की है।
Oil and Natural Gas Corporation ONGC Helicopter Emergency Landing News: मुंबई हाई में तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) रिग सागर किरण के पास मंगलवार को सात यात्रियों और दो पायलटों को लेकर जा रहे एक हेलीकॉप्टर ने मंगलवार को अरब सागर में आपातकालीन लैंडिंग की। हेलिकॉप्टर की आपात लैंडिंग की घटना में चार लोगों की मौत हो गई है। ओएनजीसी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। इस दौरान ओएनजीसी का बचाव दस्ता तुरंत राहत कार्य में जुट गया। ओएनजीसी ने कहा, “अन्य को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।” आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारतीय तटरक्षक बल भी बचाव अभियान में शामिल हो गया है।
सूत्रों ने कहना है कि तटरक्षक बल ने बचाव अभियान के लिए दो जहाजों को घटनास्थल की ओर मोड़ दिया है। दमन से उड़ान भरने वाले एक डोर्नियर वायुयान ने क्षेत्र में एक जीवन रक्षक बेड़ा भी गिराया है। दुर्घटना स्थल मुंबई से अरब सागर के अंदर 7 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।
मुंबई के पास ओएनजीसी रिग सागर किरण में हेलिकॉप्टर की आपात लैंडिंग की घटना में चार लोगों की मौत हो गई है: ओएनजीसी
हेलीकॉप्टर में छह ओएनजीसी कर्मी सवार थे, और एक कंपनी के लिए काम करने वाले ठेकेदार से संबंधित था। हेलीकॉप्टर को उससे जुड़े फ्लोटर्स का उपयोग करके उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो कर्मियों और सामग्री को किनारे से तटीय क्षेत्र तक ले जाते हैं। हेलीकॉप्टर को किस वजह से इमर्जेंसी लैंडिंग करनी पड़ी, यह पता नहीं चल सका है।
ओएनजीसी के अरब सागर में कई रिग और प्रतिष्ठान हैं जिनका उपयोग समुद्र तल के नीचे स्थित जलाशयों से तेल और गैस का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।
नगर : पुढारी वृत्तसेवा : कर्जत तालुक्यातील बेनवडी शिवारामध्ये धुमाळ वस्ती येथे आज (मंगळवार दि. २८) सकाळी सचिन हनुमंत धुमाळ व अमोल हनुमंत धुमाळ या दोन सख्ख्या भावांचा विजेचा धक्का बसून दुर्दैवी मृत्यू झाला आहे. सरकार स्थापनेसाठी भाजपकडून वेगाने हालचाली, फडणवीस दिल्लीला रवाना त्याबाबत घडलेली घटना अशी की कर्जत तालुक्यातील बेनवडी शिवारामध्ये धुमाळ वस्ती येथे राहत …
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राज्यामध्ये सुरु असणाऱ्या सत्तासंघर्षाच्या पार्श्वभूमीवर आता बंडखोर आमदारांनी राष्ट्रवादी काँग्रेसचे अध्यक्ष शरद पवार यांच्या सांगण्यावरुन शिवसेनेचे प्रवक्ते आणि खासदार संजय राऊत हे शिवसेना पक्ष संपव असल्याचा आरोप केलाय. सध्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे विरुद्ध बंडखोर आमदार अशी न्यायलायीन लढाई सुरु असतानाच बंडखोर आमदारांनी उद्धव ठाकरेंचे निकटवर्तीय असणाऱ्या राऊत यांना लक्ष्य केलं आहे.
बंडखोर आमदारांचे प्रवक्ते दीपक केसरकर यांनी आमदांरांच्यावतीने बोलताना संजय राऊतांवर गंभीर आरोप केले आहे. “संजय राऊत हे शरद पवारांच्या आदेशानुसार पक्ष (शिवसेना) संपवण्याचा प्रयत्न करत आहेत. राष्ट्रवादी काँग्रेसचे नेते संजय राऊतांच्या खांद्यावर बंदूक ठेऊन गोळ्या चालवतील,” असं केसकर यांनी म्हटलं आहे.
मात्र पुढे बोलताना केसकर यांनी बंडखोर आमदार संघर्ष सुरु ठेवणार असल्याचंही नमूद केलंय. “आम्ही संपणार नाही. आम्ही थांबणार नाही. आम्ही माघार घेणार नाही जोपर्यंत आम्ही महाराष्ट्राला नवीन उंचीवर नेवून ठेवत नाही,” असं केसकर यांनी म्हटल्याचं एएनआय या वृत्तसंस्थेनं म्हटलंय.
अन्य एका मुलाखतीमध्येही केसकर यांनी राऊतांवर कठोर शब्दांमध्ये टीका केलीय. संजय राऊत यांनी बंडखोर आमदारांवर खालच्या भाषेत टीका करताना आमदारांनी मुंबईत येऊन दाखवावे असे आव्हान दिले आहे. त्यानंतर गुवाहाटी येथे मुक्कामी असलेले बंडखोर आमदार देखील संतापले आहेत. बंडखोर आमदारांच्यावतीने बोलताना दीपक केसरकर यांनी राऊतांसह शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे यांना चांगलंच सुनावलं आहे. “मी आतापर्यंत शांत राहिलो. संजय राऊतांना आम्हीच मतं दिली. अगोदर त्यांनी राज्यसभेचा राजीनामा द्यावा आणि नंतर ही वक्तव्ये करावी. ही वक्तव्ये कोण सहन करणार आहे?” असा सवाल केसरकर यांनी उपस्थित केलाय.
“आम्ही एकाच बापाचे आहोत, जे गेले ते अनेक बापाचे आहेत, असं संजय राऊत म्हणाले होते. महाराष्ट्राने महिलांना नेहमी सन्मान दिलेला आहे. कल्याणच्या सुभेदराचा पराभव केल्यानंतर छत्रपती शिवजी महाराजांनी त्यांच्या पत्नीला आईची उपमा दिली होती. त्यात शिवाजी महाराजांचे नाव घेऊन चालणाऱ्या शिवसेनेमध्ये अशा तऱ्हेचा प्रवक्ता पक्षप्रमुखांना चालतो का. मी आतापर्यंत शांत राहिलो. या वक्तव्यातून काय अर्थ निघतो. त्यांना निवडून दिलं. आम्हीच मतं दिली तेव्हाच ते राज्यसभेत गेलेले आहेत. त्यांनी अगोदर राज्यसभेचा राजीनामा द्यावा आणि नंतर ही वक्तव्ये करावी. ही वक्तव्ये कोण सहन करणार आहे?” अशी परखड भूमिका केसरकर यांनी घेतली.
तसेच, “एखाद्याने आमच्या कुटुंबाबद्दल बोलावं हा अधिकार राऊतांना कोणी दिला? आम्हाला शिवसेनेचं नाव असेल, त्यासोबतच आमची व्यक्तिगत मतंदेखील आहेत. कोकणात विजय मिळवायचा ही बाळासाहेब ठाकरे यांची इच्छा होती. त्यासाठी माझं किती मोठं काम आहे हे सर्वांनाचा माहिती आहे. राऊतांकडून आम्ही असं ऐकायचं आहे का?” असा सवाल केसरकर यांनी केला.
चुनाव आयोग ने फर्जी राजनीतिक पार्टियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग ने ऐसी 111 राजनीतिक पार्टियों पर एक्शन लिया है, जो पंजीकृत तो है लेकिन उनके दल को चुनावी मान्यता नहीं है। इसके साथ ही 2100 से ज्यादा पार्टियां आयोग के रडार पर है। चुनाव आयोग इन 2100 पार्टियों को लेकर कहा कि इन राजनीतिक पार्टियों ने कई अनिवार्य नियमों की अवहेलना की है जिसमें चंदे से जुड़ी रिपोर्ट नहीं सौंपने, नाम, मुख्यालय पदाधिकारियों और पते के बदलाव के बारे में जानकारी नहीं शामिल हैं।
पार्टियों को हटाने का आदेश: चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया कि शुरुआत में 111 पंजीकृत और गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों को हटाने का आदेश दिया गया है। इससे पहले 25 मई को चुनाव आयोग ने 87 पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों को हटा दिया था। चुनाव आयोग का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करने के लिए देश भर की 2100 से ज्यादा पार्टियों को चिन्हित किया गया है। इनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश तक के राजनीतिक दल शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक, चुनाव आयोग की यह पूरी कार्यवाही नए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के देखरेख में की जा रही है। चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां केवल इनकम टैक्स की धारा 13 ए का लाभ उठाने के लिए बनाई जाती हैं। जांच में पाया गया है कि इनमें से अधिकांश दल अवैध गतिविधियों में भी शामिल रहे हैं।
राजनीतिक पार्टियों को टैक्स में छूट: इनकम टैक्स की धारा 13 ए के तहत देश में सभी राजनीतिक दलों को आयकर में छूट मिलती है। इसके साथ-साथ चंदा देने वालों को भी इनकम टैक्स की धारा 80GGB और 80GGC के प्रदान की गई राशि पर आयकर में छूट मिलती है।
आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन दलों को चुनाव आयोग के द्वारा हटाया गया है उनमें से अधिकांश राजनीतिक दलों ने सालाना ऑडिट खातों में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। इसके साथ ही कई जरूरी चीजें जैसे खर्चों की जानकारी और कैश फ्लो स्टेटमेंट आदि की डिटेल नहीं थी और दान देने वालों की भी पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से भरी नहीं गई थी।
Supreme Court on Maharashtra Political Crisis : एकनाथ शिंदे यांच्या नेतृत्वात शिवसेनेत बंडखोर करणाऱ्या आमदारांच्या याचिकेची सुनावणी करताना सर्वोच्च न्यायालयाने विधानसभेचे उपाध्यक्ष नरहरी झिरवळ यांच्यासह शिवसेनेचे प्रतोद सुनिल प्रभू, शिवसेना गटनेते अजय चौधरी यांना नोटीस बजावली आहे. तसेच त्यांना ५ दिवसांमध्ये आपली बाजू मांडणारं प्रतिज्ञापत्र दाखल करण्याचे निर्देश देण्यात आले आहेत. न्यायालयाने या प्रकरणाच्या पुढील सुनावणीसाठी ११ जुलैची तारीख दिली आहे.
सर्वोच्च न्यायालयाने बंडखोर शिंदे गटाच्या याचिकेवर सुनावणी करताना विधीमंडळ, शिवसेनेचे प्रतोद आणि बंडखोर शिंदे गट अशा तिन्ही पक्षकारांना आपापलं म्हणणं मांडण्यासाठी नोटीस दिली आहे. तसेच या याचिकेची पुढील सुनावणी ११ जुलैला निश्चित केली आहे. विशेष म्हणजे न्यायालयाने यावेळी महाराष्ट्र सरकारला ३९ आमदार, त्यांचे कुटुंबीय व मालमत्ता यांची हानी होणार नाही याची काळजी घेण्याच्या सूचना दिल्या आहेत.
BREAKING | Supreme Court extends the time for Eknath Shinde and other rebel MLAs to file written response to the Deputy Speaker's disqualification notice till July 12. The Court posts the matter on July 11 for further hearing.#MaharashtraPolitcalCrisis
“बंडखोर आमदारांना उपाध्यक्षांच्या नोटीसला उत्तर देण्यासाठी १२ जुलैपर्यंतची मुदत”
१२ जुलैपर्यंत बंडखोर आमदारांवर अपात्रतेसंदर्भातील कोणतीही कारवाई करु नये असा आदेश सुप्रीम कोर्टाने दिला आहे. महत्वाचं म्हणजे सुप्रीम कोर्टाने विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवळ, प्रतोद सुनील प्रभू आणि नव्याने नियुक्ती झालेले गटनेते अजय चौधरी यांना नोटीस पाठवली आहे. पाच दिवसात त्यांना प्रतिज्ञापत्र सादर करण्यास सांगण्यात आलं आहे. ११ जुलैला यासंदर्भात पुढील सुनावणी होणार आहे.
सुप्रीम कोर्टाला पुढील सुनावणीपर्यंत परिस्थिती जैसे थे हवी आहे. दोन्ही बाजूंचा युक्तिवाद ऐकून आम्ही निकाल देऊ असं कोर्टाने सांगितलं आहे. आमदारांना १२ जुलैपर्यंत आपलं म्हणणं मांडण्यासाठी वेळ दिली आहे. त्यामुळे १२ जुलैपर्यंत आमदारांना अपात्र ठरवता येणार नाही.
“११ जुलैपर्यंत आमदारांच्या अपात्रतेसंदर्भात कोणतीही कारवाई होणार नाही”
११ जुलैपर्यंत आमदारांच्या अपात्रतेबाबत कोणतीही कारवाई केली जाणार नाही असं आश्वासन उपाध्यक्षांची बाजू मांडणारे वकील धवन यांनी सांगितलं. यावर शिंदे गटाच्या वकिलांनी हे विधान रेकॉर्डवर घ्यावं अशी विनंती केली. सिंघवी यांनी यावर सांगितलं की, सामान्यत: कोर्ट अध्यक्षांच्या वतीने केलेले विधान रेकॉर्ड करणार नाहीत. कारण ते त्यांच्या अधिकारात हस्तक्षेप करण्यासारखं आहे.
शिवसेनेचे वकील कामत यांनी यावर कोणत्याही न्यायालयाने कधीही अपात्रतेच्या प्रक्रियेला स्थगिती दिली नाही, सभागृहाच्या कामकाजाला स्थगिती दिली जाईल असा युक्तिवाद केला. यावर उपाध्यक्षांचे अधिकार न्यायकक्षेच्या बाहेर आहेत हे सिद्ध करा असं सुप्रीम कोर्टाने सेनेच्या वकिलांना सांगितलं. यानंतर कोर्टाने आमदारांना १२ जुलैपर्यंत वेळ वाढवून दिली आहे.
“उपाध्यक्षांना पदावरुन दूर करण्यासाठी ठोस कारण हवं”
केवळ अविश्वासाच्या या ठरावामुळे विशेष अधिवेशन बोलवण्याचा प्रश्नच उद्भवत नाही. नियमांनुसार यासाठी परवानगी नाही. मुख्यमंत्र्यांवर अविश्वास दाखवण्यासाठी कोणतंही कारण देत नाही. पण अध्यक्षांचा संबंध येतो तेव्हा कलम १७९ नुसार ठोस कारण द्यावं लागेल. सदस्यांना फक्त विश्वास नाही असं सांगता येणार नाही असा युक्तिवाद शिवसेनेचे वकील देवदत्त कामत यांनी केला आहे.
अविश्वासाची नोटीस वैध की अवैध? सुप्रीम कोर्टात युक्तिवाद
उपाध्यक्ष नरहरी झिरवाळ यांची बाजू मांडणारे वकील धवन यांनी वैध मेल आयडीवरुन नोटीस आली नसल्याने अविश्वास प्रस्ताव फेटाळला असल्याचं सांगितलं. ते म्हणाले की, “नोंदणीकृत ईमेलवरून अविश्वास प्रस्ताव नोटीस पाठवण्यात आली नव्हती. विधिमंडळ कार्यालयात पाठविण्यात आली नाही. उपसभापती न्यायिक क्षमतेने काम करतात. जर कोणी नोंदणीकृत कार्यालयातून पत्र पाठवलं नाही तर ते आपण कोण अशी विचारणा करु शकतात. हा मेल वकील विशाल आचार्य यांनी पाठवला होता”.
यावर न्यायमूर्तींनी याबाबत आमदारांना विचारणा केली होती का? अशी विचारणा केली. त्यावर धवन यांनी प्रतिज्ञापत्र दाखल करण्याची तयारी दर्शवली आहे.
“उपाध्यक्षांना अज्ञात ईमेल आयडीवरुन पत्र मिळाल्याने त्यांनी प्रस्ताव फेटाळला”
अभिषेक मनू सिंघवी यांनी यावेळी सांगितलं की, उपाध्यक्षांना अज्ञात ईमेल आयडीवरुन पत्र मिळाल्याने त्यांनी अविश्वास प्रस्ताव फेटाळला होता. हे पत्र म्हणजे प्रस्ताव नसल्याचं सांगत फेटाळला होता. २० तारखेला सर्व आमदार सूरतला गेले आणि २१ तारखेला त्यांनी अविश्वास प्रस्ताव मांडणारा मेल लिहिला असावा. २२ तारखेला अध्यक्षांना हा मेल मिळाला. यावेळी १४ दिवसांचा नियम पाळण्यात आला नाही असं सिंघवी यांनी यावेळी सांगितलं.
21 जून से शुरू हुआ महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अब सूरत, गुवाहाटी होते हुए सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को ध्यान से सुना। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया। इसके मुताबिक 5 दिन के भीतर सभी को हलफनामा दाखिल करना होगा। 11 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई की जाएगी तब तक के लिए स्थिति यथावत बहाल रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही शुरू होते ही एकनाथ शिंदे के वकील से पूछा पहले आप लोग हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? इसके जवाब में शिंदे के वकील ने कहा कि मुंबई में 40 विधायकों को मारने की धमकी दी गई। मुंबई में इन विधायकों के प्रति माहौल अनुकूल नहीं है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बागी मंत्रियों के विभागों को दूसरे मंत्रियों को दे दिया है।
ईडी के समन पर बोले संजय राउत
ईडी का समन मिलने के बाद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा है, “मुझे अभी पता चला है कि ईडी ने मुझे तलब किया है। अच्छा है! महाराष्ट्र में बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हैं। हम बालासाहेब के शिवसैनिक एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। यह मुझे रोकने की साजिश है। भले ही आप मुझे मार दें, लेकिन मैं गुवाहाटी मार्ग नहीं अपनाऊंगा। मुझे गिरफ्तार करो।”
एकनाथ शिंदे के सांसद बेटे ने संजय राउत पर साधा निशाना
शिवसेना सांसद और एकनाथ शिंदे के बेटे ने ठाणे में कहा, “यह बगावत नहीं बल्कि महाराष्ट्र की जनता क्या चाहती है। ‘गुवाहाटी से शव लाने’ से उनका (संजय राउत) क्या मतलब है? यह महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है। उन्हें दूसरे लोगों को धमकाना चाहिए लेकिन हमें नहीं। सभी को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि इतने विधायक एकनाथ शिंदे के साथ क्यों गए।”
शिंदे के समर्थक उनके आवास के बाहर जमा हुए
शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के समर्थक ठाणे में उनके आवास के बाहर जमा हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट आज महाराष्ट्र के बागी विधायकों के खिलाफ डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुनवाई हुई।
शिवसेना विधायक दल के नए नेता पहुंचे विधान भवन
शिवसेना के नवनियुक्त विधायक दल के नेता अजय चौधरी विधान भवन पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को शिवसेना का विधायक दल का नेता नियुक्त करने के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनवाई हुई।
शिंदे गुट ने महा विकास आघाड़ी से समर्थन वापस लिया
एकनाथ शिंदे गुट ने महा विकास आघाडी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जानकारी दी। अर्जी में कहा गया है, “महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने सदन में बहुमत खो दिया है क्योंकि शिवसेना विधायक दल के 38 सदस्यों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है और इस तरह सदन में सरकार के बहुमत का आंकड़ा नीचे आ गया है।”
एकनाथ शिंदे ने वीडियो में बाला साहेब को लेकर कही ये बात
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थक विधायक का वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने छगन भुजबल पर निशाना साधा है। बागी विधायक सुभाष सबने ने वीडियो में कहा है, “शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को गिरफ्तार करने वाले छगन भुजबल के साथ कैबिनेट में बैठने के दौरान क्या आपको कोई दर्द नहीं होता?”
दीपक केसरकर का संजय राउत पर गंभीर आरोप
शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर ने शिवसेना सांसद संजय राउत पर बड़ा आरोप लगाया है। केसरकर ने कहा एनसीपी शिवसेना के नेताओं के कंधे पर बंदूक रखकर चला रही है संजय राउत एनसीपी नेताओं के लिए कंधा बन रहे हैं। संजय राउत शिवसेना को खत्म करने पर उतारू हैं।
सु्प्रीम कोर्ट में उठा बागी MLAs की सिक्योरिटी का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की सुरक्षा के मामले पर भी बातचीत हुई। इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के वकील का बयान दर्ज किया, उन्होंने बताया कि बागी विधायकों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त कदम उठाए जा चुके हैं और राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि बागी विधायकों की जान, उनकी स्वतंत्रता या फिर उनकी संपत्ति को किसी भी तरह का नुकसान ना हो।
अकोले : पुढारी वृत्तसेवा : कोल्हार – घोटी राज्य मार्गचे रुंदीकरणाचे काम एकीकडे प्रगती पंथावर असताना दुसरीकडे मात्र अकोले- राजूर रस्त्यावर पानवा-हाळात चक्क नवीन पुलाला भगदाड पडल्याने प्रवाशी संताप व्यक्त करीत आहेत. दरम्यान, हे भगदाड मोठ्या अपघाताला निमंत्रण देत असल्याचे दिसत आहे. अकोले शहरालगत कोल्हार -घोटी राज्य मार्गावरील अकोले- राजुर रस्त्यावर पाणवा-हाळात पडलेल्या खड्ड्यात इंदुरी …
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श्रीरामपूर : पुढारी वृत्तसेवा : शहरातील वार्ड नंबर 7 मधील मोरगे वस्ती परिसरातील कल्याणी धीरज पाटोळकर (वय 34) या विवाहितेचा मृतदेह आज (रविवारी) सकाळी 10 वाजेच्या सुमारास तालुक्यातील खंडाळा येथील रांजणखोल रस्त्यालगत अचानकनगर येथे पाटाच्या पुलाला अडकलेल्या अवस्थेत आढळल्याने खळबळ उडाली आहे. याबाबत शहर पोलिसांनी सांगितले की, मृत विवाहिता कल्याणी हिच्या (बाभळेश्वर, ता. राहाता) येथील …
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राशीन: पुढारी वृत्तसेवा : कर्जत तालुक्यातील राशीन, चिलवडी, होलेवाडी भागात पावसाने दमदार हजेरी लावली. येथे विजेच्या कडकडाटासह पाऊस झाला. चिलवडी नजीकच्या नवलेवस्ती येथील पांडुरंग हरी शिंदे यांची मेंढी वीज अंगावर पडून दगावली आहे. तसेच चिलवडी परिसरातील होलेवाडी व नवलेवस्ती येथे ढगफुटी झाली असून बेलोरा ओढ्यास प्रथमच पहिल्याच पावसात पूर आला आहे . दुपारी अडीच वाजता …
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गुजरात एटीएस ने 25 जून को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ समेत सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार, पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को को गिरफ्तार किया है। बता दें कि यह गिरफ्तारी 2002 में हुए गुजरात दंगे से जुड़े एक मामले में सर्वोच्च अदालत की तल्ख टिप्पणी के बाद हुई है।
दरअसल 2002 में हुए गुजरात दंगे को लेकर एक एसआईटी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 55 राजनेताओं को क्लीन चिट दी थी। जिसके खिलाफ पूर्व कांग्रेस नेता अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर एसआईटी की रिपोर्ट को सही बताया।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए और कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए।” कोर्ट ने यह भी कहा था कि मामले में जकिया जाफरी की भावनाओं के साथ को-पेटिशनर सीतलवाड़ ने खिलवाड़ किया। कोर्ट ने तीस्ता की भूमिका की जांच की बात कही थी।
बता दें कि एटीएस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में पूर्व आईपीएस अधिकारियों आर बी श्रीकुमार और संजीव भट्ट पर आरोप है कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को झूठा फंसाने की कोशिश की। उनपर आपराधिक साजिश का आरोप है।
उच्चतम न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि गुजरात में 2002 हुए दंगों और उस पर एसआईटी की रिपोर्ट पर झूठे खुलासे करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की यह दलील मजबूत है कि मामले को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने और सनसनीखेज बनाने के लिए इसमें गलत गवाही दी गईं। बता दें कि तत्कालीन आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट, और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार ने इस मामले में गवाही दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संजीव भट्ट और आर बी श्रीकुमार ने अपने आप को मामले में चश्मदीद गवाह के तौर पर पेश किया। न्यायालय ने कहा, गुजरात सरकार के असंतुष्ट अधिकारियों के साथ-साथ अन्य लोगों ने एक संयुक्त प्रयास में मामले में सनसनी पैदा करने की कोशिश की।
न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अपने निजी उद्देश्य के लिए मामले को आगे बढ़ाया गया और न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल हुआ। कोर्ट ने सख्ती से कहा कि ऐसे अधिकारियों को कानून के दायरे में लाकर कार्रवाई की जानी चाहिए।
लोकसभा की तीन सीटों पर हुए उप चुनावों ने दिग्गजों को हिलाकर रख दिया। उनके सबसे मजबूत किले पल भर में धाराशाई हो गए। यूपी में अखिलेश यादव आजमगढ़ के साथ रामपुर जैसी सीटों पर मजबूत होने के बाद भी हार गए तो उधर पंजाब में आप को करारा झटका लगा। सीएम मान जिस सीट पर 2014 से जीत दर्ज करते आ रहे थे वहां आप हार गई। अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे शर्मनाक बात ये है कि 2014 के बाद पहली बार लोकसभा में उनका सांसद नहीं होगा।
रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। घनश्याम लोधी ने सपा प्रत्याशी आसिम रजा को 42 हजार वोटों से हराया। रामपुर में 41.39 फीसदी मतदान हुआ है. रामपुर से 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। रामपुर उपचुनाव में आजम खान की साख दांव पर लगी थी। हार किस कदर सालने वाली रही कि आजम खान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग कर डाली तो अखिलेश ने भी ट्विटर पर अपने गुस्से का इजहार किया। जेल से लौटने के बाद आजम के लिए रामपुर जीतना जरूरी था। माना जा रहा था कि अपने गढ़ में उन्हें लोगों की सहानुभूति मिलेगी। लेकिन नतीजे आए तो मजबूत किला हाथ से निकल गया।
आजमगढ़ उपचुनाव में भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को मात दी। समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा उलटफेर कर दिया है। लोकसभा उपचुनाव में भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को पछाड़ दिया है। दिनेश लाल यादव यादव 8679 मतों से जीते। बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को 2,99,968 मत मिले। सपा के धमेंद्र यादव को 2,90,835 वोट जबकि बीएसपी के गुड्डू जमाली को 2,57,572 वोट मिले।
जीत कितनी बड़ी थी कि निरहुआ ने कहा कि आजमगढ़वासियों आपने कमाल कर दिया है। यह आपकी जीत है। उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही जिस तरीके से आप सबने भाजपा को प्यार, समर्थन और आशीर्वाद दिया, यह उसकी जीत है। यह जीत आपके भरोसे और देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत को समर्पित है। अखिलेश को ये हार भारी पड़ेगी, क्योंकि आजमगढ़ से 2014 में मुलायम तो 2019 में मोदी लहर के बाद अखिलेश जीते थे। मौजूदा समय में कोई लहर नहीं थी तो सपा गढ़ गंवा बैठी।
जीत के कितने मायने हैं ये इस बात से समझा जा सकता है कि पीएम मोदी ने ट्वीट कर आजमगढ़ और रामपुर की जीत को ऐतिहासिक करार दे डबल इंजन सरकार की कामयाबी बता डाला। बीजेपी को पता था कि मुलायम सिंह के गढ़ में सपा को हराना आसान नहीं तो रामपुर में आजमखान से पार पाना बहुत टेढ़ी खीर लग रहा था। लेकिन नतीजों ने दिखाया कि मोदी-योगी की रणनीति कामयाब रही तो अखिलेश को उप चुनावों से दूर रहना उनके प्रत्याशियों के लिए खासा भारी साबित हुआ।
मजबूत गढ़ में औंधे मुंह गिरी आप
पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर से शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने जीत दर्ज की। नतीजे भगवंत मान के लिए शुभ संकेत नहीं है, क्योंकि इससे पहले मान ने साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में इस सीट पर जीत दर्ज की थी। आज उन्हीं के गढ़ में उनकी पार्टी पिछड़ गई। फरवरी में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में भगवंत मान के विधायक चुने जाने और लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी। सिमरनजीत सिंह मान ने आप के गुरमेल सिंह को 5822 मतों से हराया।
संगरूर सीट पर 23 जून को हुए मतदान में केवल 45.30 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। जबकि 2019 में यहां 72.40 फीसदी वोट पड़े थे। कांग्रेस प्रत्याशी दलवीर सिंह गोल्डी तीसरे, भाजपा प्रत्याशी केवल ढिल्लों चौथे और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की कमलदीप कौर राजोआना पांचवें स्थान पर रहीं। गोल्डी को 79,668, ढिल्लों को 66,298 और कौर को 44,428 मत मिले। विश्लेषकों का मानना है कि मान की सीट पर हार का मतलब आप सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ पहले ही तरह से नहीं रहा। लोगों ने उम्मीद करके आप को जिताया था पर सरकार ख्याली महल बनाने में लगी रही। मूसेवाला की हत्या को आप की लोकप्रियता में गिरावट का बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है तो अकाल तख्त के जत्धेदार की सुरक्षा व्यवस्था को वापस लेने से पंथक वोटर भी आप से दूर हो गए। इस फैसले को पंथ से टकराव के तौर पर देखा गया।
#WATCH | Punjab: It's a win of our party workers and of the teachings that Sant Jarnail Singh Bhindranwale have given: Simranjit Singh Mann of Shiromani Akali Dal (Amritsar) on his win in Sangrur Lok Sabha bypoll pic.twitter.com/RGJ6pmWQbc
पंजाब चुनाव की सबसे खास बात ये है कि सिमरनजीत सिंह मान को उग्रपंथी विचारधाराका समर्थक माना जाता है। जीत के बाद उन्होंने कहा भी कि जनरैल सिंह भिडरवाले ने हमें जो शिक्षा दी ये जीत उसका ही नतीजा है। उनके तेवरों से साफ है कि पंथक वोट उनके पाले में पूरी तरह से रहे। जानकार कहते हैं कि एक तरफ प्रशासन को संभालने की नाकामी और पंथ से नाराजगी केजरीवाल को आगे भी भारी पड़ सकती है।
महाराष्ट्र के सियासी बवाल के बीच राजस्थान के सियासी संकट का मामला चर्चा में है। दरअसल राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को कोर्ट का नोटिस भेजा है। जोकि 2020 में अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश के आरोपों से संबंधित खरीद-फरोख्त के कथित मामले से जुड़ा है।
मालूम हो कि एसीबी द्वारा गजेंद्र सिंह शेखावत के वॉयस सैंपल की मांग को लेकर एक याचिका दायर करने के बाद जयपुर की एक अदालत ने यह नोटिस जारी किया। केंद्रीय मंत्री से 14 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। नोटिस जारी होने के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर निशाना साधा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने दो साल पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट के साथ मिलकर राजस्थान सरकार गिराने की कोशिश की थी। गहलोत ने यह टिप्पणी शेखावत के जयपुर के चोमू शहर में दिए बयान पर की है। जिसमें शेखावत ने एक बैठक में कहा था कि अगर सचिन पायलट राजस्थान में सरकार बदलने का मौका नहीं चूकते तो पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के माध्यम से पानी आता।
गहलोत ने शेखावत पर आरोप लगाते हुए कहा “आप सरकार गिराने में मुख्य किरदार थे। आपने खुद ने सरकार गिराने का षड्यंत्र किया, अब आप जो सचिन पायलट जी का नाम ले रहे हो कि उन्होंने चूक कर दी, इससे तो और साफ हो गया। आपने खुद ही ठप्पा लगा दिया कि आप उनके साथ मिले हुए थे।”
गहलोत ने कहा कि शेखावत अपने आप को बचाते रहे लेकिन आखिरकार उन्हें अदालत का नोटिस मिला। उन्होंने सवाल किया कि आखिर उन्हें अपनी आवाज का सैंपल देने में क्या समस्या है?
बता दें कि 2020 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा हुए विद्रोह के दौरान तीन ऑडियो क्लिप सामने आए थे। जिसमें कथित तौर पर कांग्रेस के कुछ बागी नेता अशोक गहलोत सरकार को गिराने के लिए रिश्वत लेने पर चर्चा करते हुए एक भाजपा नेता के साथ बातचीत कर रहे थे। कांग्रेस ने दावा किया था कि ऑडियो क्लिप में गजेंद्र सिंह, कांग्रेस के बागी विधायक भंवर लाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह की आवाजें थीं।
इस संबंध में कांग्रेस नेता महेश जोशी ने ऑडियो क्लिप के आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और विशेष अभियान समूह (एसओजी) में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
महाराष्ट्र में मचे सियासी बवाल के बीच शिवसेना ने असम के गुवाहाटी में एक होटल में ठहरे 16 बागी विधायकों को लीगल नोटिस भेजा है। शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने रविवार को जानकारी दी कि बागियों के खिलाफ पार्टी ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और संबंधित विधायकों को नोटिस दिया है। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के डीजीपी को पत्र लिखकर शिंदे गुट के विधायकों और उनके परिवारों को तत्काल रूप से सुरक्षा प्रदान करने की बात कही है।
बता दें कि महाराष्ट्र में सियासी हलचल के बीच रविवार को शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है, कई विधायक दलबदल कर असम चले गए हैं। हमने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और अब तक 16 विधायकों को नोटिस भेजा गया है।
शिवसेना के वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा, “शिवसेना द्वारा 16 विधायकों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई है, संविधान में प्रावधान के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है तो वह अयोग्य होता है।” उन्होंने कहा कि शिवसेना द्वारा अलग-अलग समय पर कई बैठकें बुलाई गईं। इन बैठकों में इन 16 विधायकों में से किसी ने भी भाग नहीं लिया। इनके द्वारा भाजपा शासित राज्यों का दौरा करना, भाजपा नेताओं से मिलना और सरकार गिराने का प्रयास करना उल्लंघन की श्रेमी में आता है।
गौरतलब है कि कामत ने कहा कि बागियों के लिए अयोग्यता से बचने का मर्जर ही एक ही रास्ता बचा है। बिना मर्ज किए ये लोग अयोग्यता से बच नहीं सकते। जब तक बागी विधायक किसी दूसरी पार्टी में विलय नहीं करते, उनपर अयोग्यता लागू होती है।
राज्यपाल ने गृह सचिव से मांगे केंद्रीय सुरक्षा बल: मालूम हो कि महाराष्ट्र में बागी विधायकों को लेकर शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखकर शिंदे खेमे के विधायकों और उनके परिजनों को तत्काल सुरक्षा देने को कहा है।
वहीं अब राज्यपाल केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में केंद्रीय बलों को तैयार रखने की बात कही है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों द्वारा हिंसा के आरोप लगाए जाने के बाद यह बात सामने आई है, जो वर्तमान में गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस ने पत्र के हवाले से लिखा है कि राज्यपाल ने यह पत्र 25 जून को भेजा था। जिस वक्त वे अस्पताल में थे। पत्र में उन्होंने भल्ला को सूचित किया कि उन्होंने पुलिस से विधायकों को पर्याप्त सुरक्षा देने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद भी पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।
26 जून को पंजाब की एक और यूपी की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए। इन तीनों सीटों पर बड़ा उलटफेर हुआ है। दरअसल आप की कब्जे वाली पंजाब की संगरुर सीट पर शिरोमणि अकाली दल की जीत हुई है तो वहीं रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया है। बता दें कि इससे पहले रामपुर और आजमगढ़ सीट पर सपा का कब्जा रहा था।
रामपुर: यूपी की रामपुर लोकसभा सीट, जिसपर हमेशा आजम खान का दबदबा माना जाता था। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी की जीत हुई है। चुनाव आयोग की जानकारी के मुताबिक लोधी को 367397 मत मिले तो वहीं सपा प्रत्याशी असीम रजा को 325205 मत मिले हैं। जीत का अंतर 42,192 मतों का है।
गौरतलब है कि सपा के दिग्गज नेता आजम खान 2019 में रामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गये थे। उन्होंने भाजपा की उम्मीदवार जया प्रदा को करीब एक लाख वोटों से शिकस्त दी थी। लेकिन 2022 में हुए यूपी विधानसभा में उन्होंने रामपुर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। ऐसे में उन्हें रामपुर लोकसभा सीट छोड़नी पड़ी थी।
बता दें कि करीब दो साल जेल में रहे आजम खान जमानत मिलने के बाद रामपुर सीट पर होने वाले लोकसभा उपचुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने अपने मनपसंद उम्मीदवार को सपा टिकट भी दिलवाया लेकिन नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे।
मालूम हो कि रामपुर लोकसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है। यहां पर 55 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। वहीं उपचुनाव में आजम खान चुनाव प्रचार की कमान अपने पास रखे हुए थे। रविवार की सुबह जब मतगणना शुरू हुई तो आसिम राजा आगे चल रहे थे लेकिन आखिरी समय में भाजपा ने बाजी मार ली। रामपुर में आसिम राजा की हार को आजम खान की हार के तौर पर देखा जा रहा है।
आजमगढ़: आजमगढ़ लोकसभा सीट पर सपा का दबदबा माना जाता रहा है। इस सीट पर 2019 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी। उनके पिता मुलायम सिंह यादव भी इसी सीट से सांसद रह चुके हैं। 2019 में अखिलेश यादव के सामने भाजपा ने दिनेश लाल यादव को टिकट दिया था लेकिन वो जीत नहीं सके थे।
2019 में भोजपुरी सिनेस्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को अखिलेश यादव ने दो लाख 59 हजार 874 वोट से हराया था। लेकिन हाल ही में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट छोड़ने का फैसला किया।
आजमगढ़ सीट पर जब लोकसभा उपचुनाव हुए तो इस सीट पर भाजपा ने फिर से दिनेश लाल यादव पर दांव लगाया। वहीं सपा ने यादव कुनबे से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा। नतीजों में दिनेश लाल यादव ने बड़ा उलटफेर करते हुए सपा के धर्मेंद्र यादव को 8,679 वोटों से शिकस्त दे दी। इस उपचुनाव में दिनेश लाल यादव को 3,127,68 को वोट मिले तो धर्मेंद यादव को 3,040,89 वोट मिले हैं।
संगरुर: पंजाब के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने के बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। बता दें कि संगरुर लोकसभा उपचुनाव में अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान को जीत हासिल हुई है। उन्होंने आम आदमी पार्टी के गुरमेल सिंह को हराया।
बता दें कि संगरूर लोकसभा सीट से आप नेता भगवंत मान दो बार संसद पहुंच चुके हैं। लेकिन इसी साल पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद यहां उपचुनाव कराया गया। आप की दबदबे वाली इस सीट पर आम आदमी पार्टी गुरमेल सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें सिमरनजीत मान ने 5822 मतों से हराया। जहां गुरमेल सिंह को 2,47,332 वोट मिले तो वहीं सिमरनजीत मान को 2,53,154 वोट मिले हैं।
सात विधानसभा सीटों का हाल: 26 जून को तीन लोकसभा सीटों के अलावा सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए। जिसमें दिल्ली की राजिंदर नगर सीट पर आप के दुर्गेश पाठक ने 11,468 वोटों से जीत दर्ज की है। इस उपचुनाव में दुर्गेश पाठक को 40,319 वोट मिले तो उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के राजेश भाटिया को 28,851 मत मिले।
वहीं झारखंड की मांडर से सत्ताधारी गठबंधन की संयुक्त प्रत्याशी कांग्रेस की शिल्पी नेहा तिर्की ने भाजपा की गंगोत्री कुजूर को कड़े मुकाबले में 23,517 वोटों से हराया। शिल्पी नेहा को 95,062 वोट मिले तो भाजपा की गंगोत्री को 71545 मत मिले।
आंध्र प्रदेश की आत्मकूर सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार एम. विक्रम रेड्डी ने 82,742 वोटों से अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा के जी भरत कुमार को हराया है। विक्रम रेड्डी को 1,02,241 वोट मिले तो वहीं भरत कुमार को 19,353 वोट मिले।
वहीं त्रिपुरा में चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को एक और भाजपा ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसमें त्रिपुरा की टाउन बारडोवली सीट से भाजपा प्रत्याशी व मुख्यमंत्री मानिक साहा ने जीत हासिल की है। वहीं अगरतला में कांग्रेस प्रत्याशी सुदीप रॉय बर्मन जीते हैं। इसके अलावा जबराजनगर व सूरमा सीट भी भाजपा की झोली में आई है।
उत्तर भारत में मानसून की शुरुआत के साथ ही पिछले सप्ताह बिहार में बिजली गिरने और आंधी-तूफान से जुड़ी घटनाओं में 17 लोगों की मौत हो गई। इनमें से भागलपुर जिले में 6 लोगों की मौत हुई, वैशाली में 3 लोगों की मौत, बांका और खगड़िया में 2 मौतें हुईं और मुंगेर, कटिहार, मधेपुरा और सहरसा में एक-एक मौत हुई। हालांकि बिजली गिरने से होने वाली मौतों को अलग-अलग घटनाओं के रूप में रिपोर्ट किया जाता है। न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में बाढ़ और चक्रवातों की वजह से बेहिसाब मौतें होती हैं, लेकिन इसकी तुलना में कहीं ज्यादा मौते आकाशीय बिजली गिरने से हो जाती हैं।
अर्थ साइंस मिनिस्ट्री, भारतीय मौसम विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों की एक संयुक्त रूप से प्रकाशित वार्षिक लाइटनिंग रिपोर्ट 2020-2021 के अनुसार उत्तर भारतीय राज्यों में बिजली गिरने से 2020 और 2021 के बीच 1,697 लोगों की मौत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत में तीन राज्य, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जहां बिजली गिरने से मरने वालों की संख्या 1500 से भी ज्यादा हो जाती है। रिपोर्ट में कहा गया ये तीनों राज्य हमारे लिए चुनौती बने हुए हैं। मरने वालों का आंकड़ा एक आधिकारिक डाटा है क्योंकि इन राज्यों में ऐसी मौतों पर मुआवजा भी मिलता है।
लगातार बढ़ रहीं हैं बिजली गिरने से मौत की घटनाएं
संजय श्रीवास्तव ने बताया, जो क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (CROPC) में काम करता है, जो ऊपर बताई गई लाइटनिंग रिपोर्ट में योगदान देने वाली एजेंसियों में से एक है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 401, उत्तर प्रदेश में 238, मध्य प्रदेश में 228 और ओडिशा में 156 मौतें हुई हैं। ये मौतें बिजली गिरने की घटनाओं के लगातार बढ़ने का परिणाम हैं। ये एक ऐसा बदलाव है पर्यावरण में जिसे सरकारी आंकड़ों में भी स्वीकार किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में बिजली गिरने की घटनाओं में 34% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2019-2020 में 1.38 करोड़ से बढ़कर 2020-2021 में 1.85 करोड़ हो गई, जो पूरे देश में एक वर्ष में 46.83 लाख की वृद्धि है।
डाटा की प्रमाणिकता पर सवाल?
हालांकि सरकारी एजेंसियों जैसे लाइटनिंग रेजिलिएंट कैंपेन इंडिया और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बिजली गिरने से होने वाली मौतों को रिकॉर्ड किया है जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि मौतों की संख्या कम बताई गई है। भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु में उच्च वोल्टेज इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ जीआर नागभूषण ने कहा,”हालांकि देश में मृत्यु दर हर साल 2,000 से 3,000 के बीच है लेकिन ये कोई उचित डेटा नहीं है।” प्रोफेसर नागभूषण के अनुसार, हालांकि सरकारी एजेंसियां डेटा रिकॉर्ड करने का प्रयास करती हैं, लेकिन प्रामाणिकता सवालों के घेरे में है। नागभूषण ने आगे बताया, “अगर बिजली गिरने से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो डॉक्टर को मुख्य कारण घोषित करना चाहिए। अगर यह बिजली है तो उन्हें इसकी घोषणा करनी चाहिए और इसे रिकॉर्ड के लिए एक सरकारी एजेंसी को देना चाहिए।”
जलवायु परिवर्तन की वजह
विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली गिरने और इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों में वर्तमान वृद्धि को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने से हवा में नमी बढ़ रही है और ग्लोबल वार्मिंग से गर्मी बढ़ रही है जिससे बिजली गिरने के दो मुख्य कारणों में योगदान बढ़ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ रहा है तापमान
श्रीवास्तव ने बताया, “ग्लोबल वार्मिंग से तापमान दिनो ब दिन बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से वातावरण में नमी भी बढ़ रही है। क्योंकि हिमालय पिघल रहा है जब समुद्र में पानी गर्म होता है तो यह ज्यादा भाप पैदा करेगा। प्रकाश के लिए आवश्यक दो मुख्य घटक बढ़ रहे हैं गर्म पृथ्वी और जल वाष्प यही वजह है कि बिजली गिरने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।”
बिजली गिरने से 96 फीसदी से ज्यादा मौतें ग्रामीण इलाकों से
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक बिजली गिरने से होने वाली मौतों में 96 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में हैं। श्रीवास्तव ने आगे कहा, “हमने गांवों की भौगोलिक विशेषताओं का रिस्की मूल्यांकन किया जैसे कि ऊंचाई वाले क्षेत्र चाहे वह पेड़ हों या पहाड़ों की चोटी या बिजली के खंभे हों। इसके अलावा, बिजली लंबवत रूप से जमीन से टकराती है और गोलाकार तरीके से चारों ओर फैल जाती है। यह इमारतों के कारण शहरी क्षेत्रों में नहीं फैल सकता है लेकिन गांवों में क्षेत्र साफ है इसलिए यह खेतों पर पड़ता है और पूरे क्षेत्र में फैलता है।”
चिंता का कारण
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार प्राकृतिक वजहों से होने वाली आकस्मिक मौतों में बिजली गिरने से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है।
साल 2020 में, बिजली गिरने से 2,862 लोगों की मौत हुई, जो अन्य ज्ञात कारणों जैसे चक्रवात (37), हीट स्ट्रोक (530) और बाढ़ (959) की तुलना में काफी अधिक है। बिहार (168%), पंजाब (331%) और हरियाणा (164%) जैसे राज्यों में बिजली गिरने की घटनाओं में कई गुना वृद्धि हुई है। यह चिंता का कारण है क्योंकि इन कृषि राज्यों में अधिक लोग हैं जो कृषि गतिविधियों से जुड़े हैं और खुले क्षेत्रों में अधिक समय बिताते हैं।
दिल्ली के राजेंद्रनगर उप चुनाव में आप के सामने कई चुनौतियां थी। लेकिन इन सबसे पार पाकर केजरीवाल की पार्टी ने बीजेपी को शिकस्त देकर सीट पर फिर से कब्जा कर लिया। यहां के लोग पानी की समस्या के साथ सड़कों की बदहाली से परेशान हैं। बावजूद इसके कि राजेंद्र नगर से विधायक रहे (अभी राज्यसभा सदस्य) राघव चड्ढा दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे थे। लेकिन फिर भी आप ने बाजी मार ली।
दरअसल आप की जीत के पीछे कई कारण रहे। पार्टी जानती थी कि पानी की समस्या उसे भारी पड़ सकती है। सीएम अरविंद केजरीवाल खुद जब प्रचार के लिए गए तो उन्होंने समस्या का जिक्र कर कहा कि जल्दी इसका समाधान होगा। केजरीवाल का चेहरा आप की ताकत है। प्रचार के दौरान उन्हें आगे करके ही स्लोगन तैयार किया गया था कि केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का विधायक। पार्टी को पता था कि सीएम को सामने रखकर ही वो सारे समीकरण ध्वस्त कर सकती है।
आप सरकार की फ्री बिजली-पानी योजना ने लोअर मिडिल क्लास तबके को अपनी तरफ खींचने का काम किया। दिल्ली में लोगों को फिलहाल 20 हजार लीटर पानी और 200 यूनिट बिजली पर कोई पैसा नहीं देना पड़ रहा है। ये योजना आप के लिए मुफीद साबित हुई। चुनाव में इसका असर साफ दिखा। बीजेपी को चुनाव के दौरान पॉश अर्बन इलाकों जैसे राजेंद्र नगर, न्यू राजेंद्र नगर में समर्थन मिला वहीं आप को लोअर मिडिल क्लास जैसे पांडव नगर, जेजे कालोनी में वोट मिले।
2020 में इस विधानसभा क्षेत्र में 58.72 फीसदी वोट पड़े थे जबकि उप चुनाव के दौरान मतदान 43.75 फीसदी हुआ। राजेंद्र नगर, न्यू राजेंद्र नगर में मतदान कम देखने को मिला जबकि ये इलाके पंजाबी बहुल्य माने जाते हैं। बीजेपी ने राजेश भाटिया को मैदान में उतारा था। वो इसी समुदाय से हैं। आप ने दुर्गेश पाठक को मैदान में उतारा। वो पूर्वांचल के हैं। उन्हें पंजाबियों के अलावा बाकी समुदाय के जमकर वोट मिले।
बीजपी की हार की सबसे बड़ी वजह टिकट के लिए लंबी लाईन होना भी रहा। कई नेता टिकट चाहते थे। उनका नंबर नहीं लगा तो वो चुनाव प्रचार में अनमने ढंग से उतरे। कई तो दिखे ही नहीं। ये चीज बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण रही।
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कराड : राज्याच्या सत्तेत महाविकास आघाडी म्हणून एकत्र राहताना दुसरीकडे मित्रपक्ष असलेल्या राष्ट्रवादी कॉंग्रसकडून मात्र, सतत पाठीत खंजीर खुपसण्याचे काम होत राहिल्याने या रागापोटीच आम्ही बाहेर पडण्याचा निर्णय घेतल्याचे शिवसेनेचे नाराज आमदार महेश शिंदे यांनी समाजमाध्यमासमोर बोलताना सांगितले.
सातारा जिल्ह्यातील कोरेगाव विधानसभा मतदारसंघाचे लोकप्रतिनिधी असलेले महेश शिंदे हे राष्ट्रवादी कॉंग्रेस व विशेषतः उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांच्यावर राग व्यक्त करत होते. शिवसेनेच्या आमदारांना ५० ते ५५ कोटींचा निधी दिला जात असताना राष्ट्रवादी कॉंग्रसच्या आमदारांना हाच निधी ७०० ते ८०० कोटी रुपयांपर्यंत दिला गेल्याची बाब आम्ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांच्यासमोर उघड केली होती. मुख्यमंत्र्यांच्या वर्षा निवासस्थानी बैठकीमध्ये संबंधित अधिकाऱ्यांना आम्हा आमदारांच्या मतदारसंघात किती निधी दिला याचे आकडे मागितले असता चुकीचे आकडे पुढे आल्याची बाब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांना अचंबित करणारी होती. राष्ट्रवादी कॉंग्रेसच्या नेत्यांनी आमचा विश्वासघात केल्याचे समोर आले. परंतु, या प्रकारात पुढे काहीच बदल झाला नाही. शिवसेनेच्या आमदारांच्या मतदारसंघांमध्ये पराभूत झालेल्या राष्ट्रवादी कॉंग्रेसच्या उमेदवारांना विकासकामांसाठी उपमुख्यमंत्र्यांच्या कार्यालयातून निधी दिला गेला होता.
आम्हा शिवसेनेच्या आमदारांना कार्यक्रमांना बोलवले जात नव्हते. या प्रकारांबाबत मुख्यमंत्र्यांशी आमच्या बैठकाही झाल्या. त्यावेळी मुख्यमंत्री ठाकरे यांनी परिस्थितीत सुधारणा होईल असे सांगतानाच अनेक गोष्टींना स्थगितीही दिली. पण, मुख्यमंत्र्यांच्या स्थगितीपत्रांना केराची टोपली मिळाली. आमच्या मतदारसंघामध्ये अशा पद्धतीने विरोधकांची सतत कामे होत गेली. पुढील आमदार राष्ट्रावादीचाच होईल, शिवसेनेचा आमदार दिसणार नाही ही वक्तव्ये मुख्यमंत्र्यांच्या निदर्शनास आणून देण्यात आली होती. यावर हे सारे थांबेल असे मुख्यमंत्री सांगत होते. पण, अशाप्रकारची कुठलीही गोष्ट थांबली नाही. त्यामुळे अशा परिस्थितीत आम्हाला काम करणे अशक्य होते आणि राष्ट्रवादी कॉंग्रेसच्या पाठीमध्ये खंजीर खुपसण्याच्या रागापोटीच आम्ही महाविकास आघाडीतून बाहेर पडल्याचे आमदार महेश शिंदे यांनी स्पष्ट केले.
ज्येष्ठ कीर्तनकार निवृत्ती महाराज इंदुरीकर हे त्यांच्या कीर्तनाच्या माध्यमातून अनेकदा चालू घडामोडी किंवा राजकीय घडामोडी यांच्यावर देखील टिप्पणी करत असतात. गेल्या काही महिन्यांमध्ये त्यांच्या काही वक्तव्यांमुळे वाद देखील निर्माण झाले होते. मात्र, इंदुरीकर महाराज यांची वक्तव्य तुफान व्हायरल होत असतात. त्यांचे अजून काही व्हिडीओ सध्या व्हायरल होऊ लागले असून त्यामध्ये त्यांनी सध्याच्या राजकीय घडामोडींविषयी मिश्किल शब्दांत टिप्पणी केली आहे. जळगावचे खासदार उन्मेश पाटील यांच्या वाढदिवसानिमित्त चाळीसगाव येथे निवृत्ती महाराज इंदुरीकर यांच्या कीर्तनाचे आयोजन करण्यात आले होते. यावेळी बोलताना त्यांच्या मिश्किल टिप्पणीवर उपस्थितांनी जोरदार प्रतिसाद दिला.
“तुम्ही बसा गावात बांध कोरत”
एकनाथ शिंदे यांच्या बंडखोरीनंतर शिवसेनेच्या अनेक आमदारांसह ते गुवाहाटीमध्ये एका हॉटेलमध्ये थांबले आहेत. या पार्श्वभूमीवर इंदुरीकर महाराज यांची टिप्पणी व्हायरल होत आहे. “नुसत्या लोभ नावाच्या शब्दासाठी आख्खी मंडळी १५ दिवस एकत्र आली. विरोधक एकत्र आले. सगळे एकत्र आले. कुणाचीही हू नाही, चू नाही. आणि आपल्या गावातला पुढारी म्हणत राहातो ‘मी गेलो असतो लग्नाला पण तो आपल्या पार्टीत नाही’. शिका त्यांच्याकडून. आता म्हणेल का कुणी की हा विरोधक आहे? तुम्ही बसा गावात बांध कोरत. तुमची तर किंमतच संपली. तुमचं काही राहिलंच नाही”, असं इंदुरीकर महाराज म्हणाले.
“तुम्हाला विचारलं का त्यांनी की आम्ही असं करतोय. तुम्ही फक्त त्यांचे बोर्ड ठोकत बसा. सतरंज्या झटका आणि मरा. तुम्हाला अशी लाज वगैरे काही वाटत नाही का?” असं देखील इंदुरीकर महाराज यावेळी म्हणाले.
“समाजाला तुमचं काही देणंघेणं नाही. तुम्ही भजन सोडून कुणाच्याही नादी लागू नका. ज्यांच्या ताब्यात तालुके आहेत त्यांना मतदान कसं करावं हे शिकवावं लागतं. मग शहाणं कोण आहे? तीन वेळा बैठक झाली की बाबा हे असं कर, असं कर”, अशा शब्दांत इंदुरीकर महाराजांनी टोला लगावला. राज्यसभा आणि विधानपरिषद निवडणुकांच्या वेळी झालेल्या पक्षीय बैठकांच्या संदर्भात त्यांचं हे विधान असल्याचं म्हटलं जात आहे.
“आंदोलनं करणं सध्या फॅशन झाली आहे”
“लाईट गेली की मोर्चा, वायरमन आला नाही तर मोर्चा. नळाला पाणी आलं नाही मोर्चा. आंदोलन करणं ही फॅशन झालीये सध्या. कुणीही उठायचं आणि तीव्र आंदोलन करायचं. काय आंदोलन करतो डोंबल्याचं. कोण ऐकतं तुझं? हे लोक पोलिसांना आधीच सांगतात की आम्ही १० मिनिटं फक्त आंदोलनाला बसणार आहे. गुन्हे वगैरे काही दाखल करू नका. आपली येडपटं सकाळपासून बसतात. मग व्हीआयपी लोक भारी गाडीतून येणार. कागद. निवेदन देणार. मग त्यांचा फोटो पेपरमध्ये येणार”, असंही इंदुरीकर महाराज या कीर्तनात म्हणाले.
खादी ग्रामोद्योग क्षेत्रात ६० वर्षे कार्यरत असणारे रघुनाथ कुलकर्णी यांचे कोल्हापूरात अल्प आजाराने निधन झाले. ते ९० वर्षांचे होते.
कर्नाटकच्या सीमाभागात जन्म झालेल्या कुलकर्णी यांचे बालपण वर्धा येथे महिलाश्रमात म. गांधी, विनोबा भावे यांच्या संस्कारी वातावरणात गेले. १९५५ पासून ते खादी ग्रामोद्योग मंडळात सेवेला लागले. खादीच्या संशोधन विभागात त्यांनी खादी टिकाऊ, अधिक उत्पादक होण्यासाठी चरखा, माग, डिझाइन, रचना यात सुधारणा केल्या. खादी, रेशम, लोकर, समन्वय इत्यादी प्रशासकीय विभागांचे संचालक म्हणूनही काम केले. देशभरातल्या खादी उत्पादक संस्थाशी ते संपर्कात होते. महाराष्ट्र सेवा संघ, कलानिकेतन या संस्थामध्ये ते कार्यरत होते. खादीशी जुळले नाते हे त्यांचे आत्मचरित्रपर पुस्तक आहे.
त्यांच्या पश्चात पत्नी सुलभा, जनआंदोलनाच्या राष्ट्रीय समन्वयाच्या कार्यकर्त्या सुनिती सु.र., सृजन आनंदशी संबंधित सुचिता पडळकर या दोन मुली, मुलगा निवृत्त प्रा. सुनील कुलकर्णी, सुना, जावई, नातवंडे, पतवंडे असा परिवार आहे.
कोल्हापूर शिवसेना अंतर्गत वाद आज (शनिवार) दुसर्याही दिवशी चव्हाट्यावर आला. शिवसैनिकांच्या एका गटाने कार्यालयावरील राजेश क्षीरसागर यांचे पोस्टर उतरवून ते फाडले. यावर क्षीरसागर यांनी ‘मी कमजोर नाही. एकनाथ शिंदे यांचा पठ्ठा आहे,’ अशा भाषेत प्रति इशारा दिला आहे. यामुळे शिवसेनेतील वाद आणखी धुमसताना दिसत आहे.
शिवसेनेचे नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे यांनी स्वतंत्र बाणा दाखवल्यानंतर माजी आमदार राजेश क्षीरसागर यांनी त्यांच्या पाठीशी राहण्याचा निर्णय घेतला आहे. तर उद्धव ठाकरे यांच्या यांचे समर्थन करण्यासाठी काल कोल्हापुरात मोर्चा निघाला, तेव्हा क्षीरसागर यांच्या विरोधात घोषणाबाजी करण्यात आली होती.
आज माजी शिवसेना शहर प्रमुख रविकिरण इंगवले, रिक्षा चालक संघटनेचे अध्यक्ष राजू जाधव यांनी कार्यालयावरील क्षीरसागर यांचे पोस्टर काढून फाडायला लावले. “ शिवसेना अंगार है बाकी सब भंगार है” अशा घोषणा दिल्या. तसेच, “शिवसेनेशी गद्दारी केली. पक्षाच्या नावावर जोगवा मागून मंत्री पदाचा दर्जा मिळवला. शिवसेनेने सारेकाही वैभव देऊनही बकासुर राक्षस सारखी भूक असणाऱ्या राजेश क्षीरसागरची अहंकार जिरवू. शिवसेनेच्या नावावर गब्बर झालेल्या पिता-पुत्रांना धडा शिकवू.” , अशी टीकाही यावेळी इंगवले यांनी केली.
क्षीरसागर यांचा इशारा –
या घटनेनंतर राज्य नियोजन मंडळाचे अध्यक्ष राजेश क्षीरसागर संतप्त झाले. त्यांनी एका चित्रफितीद्वारे इंगवले यांना उद्देशून “ते गुंड असतील तर मी सुशिक्षित गुंड आहे. मी बाहेर पडेल तेव्हा तुमची पळता भुई थोडी होईल. मी कमजोर नाही एकनाथ शिंदे यांचा पठ्ठा आहे.” असा इशारा दिला आहे.
शिवसेना नेते व सार्वजनिक बांधकाम मंत्री एकनाथ शिंदे यांनी बंडखोरी करत शिवसेनेला भगदाड पाडलंय. शिवसेनेच्या ५५ आमदारांपैकी २/३ आमदारांचा आपल्याकडे पाठिंबा असल्याचा दावा एकनाथ शिंदे यांनी केलाय. या पार्श्वभूमीवर राज्यातील महाविकासआघाडी सरकार धोक्यात असल्याच्या चर्चांना उधाण आलंय. दुसरीकडे आघाडीच्या नेत्यांनी मात्र आपलं सरकार स्थिर असल्याचा दावा केलाय. असं असलं तरी एकनाथ शिंदे यांच्या सातारा जिल्ह्यातील मूळ गावात एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होणार याच्याच चर्चा रंगत आहेत. या पार्श्वभूमीवर एकनाथ शिंदे यांच्या दरे गावाचा हा खास आढावा…
एकनाथ शिंदे यांना त्यांचं मूळ गाव दरे येथून मोठा पाठिंबा मिळताना दिसत आहे. या गावात केवळ ३० कुटुंबं आहेत. कोयना नदीच्या किनाऱ्यावर वसलेलं हे गाव प्रसिद्ध पर्यटन स्थळ महाबळेश्वर येथून ७० किमी आहे. या गावाच्या एका बाजूला जंगल आहे, तर दुसऱ्या बाजूला कोयना आहे. या गावात उत्पन्नाचं कोणतंही शाश्वत साधन नसल्याने बहुतांश लोक मुंबई आणि पुण्यात स्थलांतरीत झाले आहेत.
मागील काही वर्षांपासून एकनाथ शिंदे यांनी आपल्या मूळ गावाकडे म्हणजे दरेकडे लक्ष देण्यास सुरुवात केलीय. एकनाथ शिंदे लहान असतानाच त्यांच्या वडिलांनी कामाच्या शोधात दरे गाव सोडलं आणि ते ठाण्याला स्थलांतरीत झाले. एवढ्यात शिंदे यांच्या कुटुंबाने गावातील वार्षिक धार्मिक उत्सवाला आवर्जून हजेरी लावली आहे, अशी माहिती गावचे सरपंच लक्ष्मण शिंदे यांनी इंडियन एक्स्प्रेसला दिली. तसेच सध्याच्या राजकीय घडामोडींच्या पार्श्वभूमीवर या गावातील सर्वजण एकनाथ शिंदे यांना टीव्हीवर पाहत आहेत.
एकनाथ शिंदे यांनी मागील काही काळात आपलं मूळ गाव असलेल्या दरेमध्ये काही विकासात्मक कामं सुरू केल्याचंही सरपंच शिंदे यांनी सांगितलं. तसेच आमचं गाव एकनाथ शिंदे यांना मुख्यमंत्री म्हणून पाहू इच्छित असल्याची भावनाही लक्ष्मण शिंदे यांनी व्यक्त केली.
दरे गावात ना शाळा, ना रुग्णालय
राज्याच्या राजकारणात दबदबा असणाऱ्या एकनाथ शिंदे यांनी विकासाच्या राजकारणाचे अनेक दावे केले आहेत. असं असलं तरी त्यांच्या मूळ गाव असलेल्या दरेमध्ये ना शाळा आहे, ना रुग्णालय. शिक्षण किंवा आरोग्य या सुविधांसाठी गावातील नागरिकांना ५० किमी अंतरावरील तपोला येथे जावे लागते. बोटीतून प्रवास केल्यास हे ५० किमीचं अंतर १० किमी होतं. तपोला कोयना नदीच्या दुसऱ्या किनाऱ्यावर आहे.
विशेष म्हणजे दरे गावात शाळा, रुग्णालय नसले तरी एकनाथ शिंदे कायम हेलिकॉप्टरने येत असल्याने गावात दोन हेलिपॅड आहेत. एक हेलिपॅड गावात आहे, तर दुसरं शिंदे यांच्या गावातील घराजवळ आहे. ते लवकरच कार्यान्वित होणार आहे.
सनी शिंदे नावाच्या इयत्ता आठवीतील विद्यार्थ्याने सांगितलं, “शाळा उघडल्या आहेत, मात्र नदी आटल्याने आम्हाला जाता येत नाही. नदीचं पात्र खूप रुंद आहे, बोटीशिवाय नदी पार करता येत नाही. त्यामुळे नदीला पाणी नसताना नदीच्या या भागातील विद्यार्थ्यांना शाळेत उपस्थितीपासून कायम सवलत दिली जाते. कारण तपोला येथे असलेल्या शाळेत रस्ता मार्गे जायचं ठरलं तर ५० किमीचा प्रवास करावा लागतो. त्यात गावात एका दिवसात एकच बस येते. त्यामुळे अशा काळात केवळ दहावीचे विद्यार्थी बसने प्रवास करत शाळेत जातात. इतर विद्यार्थ्यांची शाळा नदीला पाणी आल्यावर म्हणजे साधारणतः १५ ऑगस्टपासून सुरू होते.”
२०१९ च्या निवडणुकीत जाहीर केल्याप्रमाणे एकनाथ शिंदे याची गावात १२.४५ एकर शेतजमीन आहे. त्या जमिनीची किंमत २१.२१ लाख आहे. तर मुलगा खासदार श्रीकांत शिंदे यांच्या नावावर नोव्हेंबर २०१७ मध्ये गावातील २२.६८ एकर जमीन होती. त्याची किंमत २६.५१ लाख रुपये आहे.
महाराष्ट्र में सियासी संग्राम के बीच शनिवार को कई जगहों पर शिवसेना कार्यकर्ताओं ने बागी नेताओं के खिलाफ नारेबाजी की। इस बीच मुंबई में किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है। वहीं शिवसेना के बागी विधायकों को लेकर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वे (बागी विधायक) जो चाहें कर सकते हैं। उनके मामलों में मैं दखल नहीं दूंगा। उन्हें अपना फैसला खुद लेना है।
सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि कुछ लोग मुझसे बागी विधायकों के लिए कुछ कहने के लिए कह रहे हैं लेकिन मैं पहले ही कह चुका हूं कि वे (बागी विधायक) जो करना चाहते हैं कर सकते हैं, मैं उनके मामलों में दखल नहीं दूंगा। वे अपना फैसला खुद ले सकते हैं, लेकिन किसी को भी बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
उद्धव ने गुवाहाटी में मौजूद बागी विधायकों को चुनौती देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे बालासाहेब ठाकरे के नाम के बिना वोट मांग कर दिखाएं। उन्होंने कहा कि शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की थी और उन्हीं की हमेशा रहेगी।
संजय राउत ने बताया कि उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जो लोग छोड़कर गए हैं, वे शिवसेना के नाम से वोट मत मांगे और अगर वोट मांगते हैं तो अपने खुद के बाप के नाम पर मांगे। शिवसेना के बाप बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट मत मांगे।
शिंदे गुट की बढ़ सकती है मुसीबतें: महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने असम में गुवाहाटी के एक होटल में रह रहे एकनाथ शिंदे खेमे के 16 बागी शिवसेना विधायकों की अयोग्यता को लेकर नोटिस जारी किया।
गौरतलब है कि शिवसेना के बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई में अपने गुट के नाम का “शिवसेना बालासाहेब” रखने का फैसला किया है। न्यूज एजेंसी एएनआई को जानकारी देते हुए शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर ने बताया कि एकनाथ शिंदे कैंप के विधायकों ने अपने गुट का नाम बालासाहेब के नाम पर रखा है।
वहीं कांग्रेस महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए है। राज्य के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने एकनाथ शिंदे गुट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि स्पीकर से जब तक कानूनी अनुमति नहीं देते, तब तक इस तरह के समूहों को अधिकृत नहीं माना जाएगा।
दरअसल एक तरफ जहां बागी विधायकों ने अपने गुट का नाम शिवसेना बालासाहेब के नाम पर रखने का फैसला किया है तो वहीं शिवसेना ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर बालासाहेब के नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाने की अपील की है।
संजय राउत का आग लगाने वाला बयान: शनिवार की सुबह शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि अभी शिवसैनिक सड़कों पर नहीं उतरे हैं, अगर ऐसा हुआ तो आग लग जाएगी। संजय राउत ने कहा कि सांगली से हमारे कार्यकर्ता हमारे पास आए और पूछा कि हमें आगे क्या करना है?
नगर : अॅम्ब्युलन्सने समोरून दिलेल्या धडकेत एकाचा मृत्यू झाल्याची घटना (दि.21) रोजी घडली. ज्ञानेश्वर फुलसौंदर (रा.बुरूडगाव रोड, नगर) असे मयताचे नाव असून पुणे येथील दीनानाथ मंगेशकर रूग्णालयात उपचार सुरू असताना त्यांचा मृत्यू झाला. याबाबत सुरज फुलसौंदर यांच्या फिर्यादीवरून कोतवाली पोलिस ठाण्यात अॅम्ब्युलन्स (एमएच 16 सीसी 4302) चालकाविरूद्ध गुन्हा दाखल करण्यात आला आहे.
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नगर : पुढारी वृत्तसेवा : शिक्षक बँकेसाठी विक्रमी 852 उमेदवारी अर्ज दाखल झाले आहेत. काल झालेल्या छाननीत 25 इच्छुकांचे अर्ज बाद झाल्याची माहिती सहकार विभागाच्या वतीने देविदास घोडेचोर यांनी दिली. शिक्षक बँकेच्या निवडणुकीसाठी सर्वच शिक्षक संघटनांनी मोठ्या प्रमाणात उमेदवारी अर्ज दाखल केले आहेत. swara bhaskar : स्वरा अशी काही भडकली की रणवीर शौरीला ट्विटरवर केलं …
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