हमारे पास जादू की छड़ी नहीं, अनुशासन और निस्वार्थ भाव जरूरी- CWC मीटिंग में सोनिया ने दिया जीत का मंत्र

May 10, 2022 0 Comments

CWC मीटिंग में सोमवार को सोनिया गांधी अपने पुराने तेवरों में दिखीं। उन्होंने नेताओं को नसीहत दी तो उनमें जोश भी भरा। नेतृत्व की सीमाएं बताईं तो अपने नेताओं को पार्टी के लिए सबकुछ झोंकने का आग्रह भी किया। कुल मिलाकर ऐसा लगा कि सोनिया अब फिर से कमर कस कर मैदान में उतरने का मूड़ बना चुकी हैं। उन्हें पता है कि सामने मोदी-शाह के रूप में कड़ी चुनौती है तो केजरीवाल भी मुसीबत बन रहे हैं। ऐसे में पार्टी में जान न पड़ी तो ये खत्म भी हो सकती है।

सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। सभी को एक साथ मिलकर काम करना होगा। अब पार्टी का कर्ज उतारने का समय आ गया है। ऐसे में उन्हें किसी स्वार्थ के बिना और अनुशासन के साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि उदयपुर का चिंतन शिविर केवल खानापूर्ति नहीं होना चाहिए। तमाम बड़े नेताओं के साथ मीटिंग में राहुल गांधी भी मौजूद रहे।

पांच चुनावी राज्यों में करारी शिकस्त के बाद चिंतन शिविर बुलाने का फैसला लिया गया था। आलाकमान ने 13 से 15 मई तक राजस्थान के उदयपुर में तीन दिन का नव संकल्प चिंतन शिविर करने का फैसला किया है। इस दौरान 2024 के आम चुनावों पर मंथन होगा। इसमें पार्टी के सभी सांसदों, तमाम विधायकों, प्रदेश के अहम नेताओं और पदाधिकारियों से लेकर फ्रंटल इकाइयों तक के प्रमुख नेताओं को बुलाया गया है। चिंतन शिविर में तकरीबन 400 नेता इसमें मौजूद रहेंगे।

ध्यान रहे है कि चुनावों में लगातार हार और गुटबाजी की वजह से कांग्रेस इस समय मुश्किलों का सामना कर रही है। सबसे बड़ी दिक्कत है कि गांधी परिवार अपनी ऊर्जा अपना घर ठीक करने में लगाए या फिर विरोधी से निपटने और उनके खिलाफ जमीन पर कारगर लड़ाई लड़ने में। प्रशांत किशोर के साथ बातचीत फ्लाप होने से भी पार्टी को झटका लगा है।

हालांकि नेतृत्व हार मानता नहीं दिख रहा। यही वजह है कि सोनिया ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को मजबूत करने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के मकसद से एक विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह 2024 का गठन करने की बात कही है। ये साल कांग्रेस के लिए अहम है क्योंकि हार का दाग मिटाने के लिए उसके पास मौका है। साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस इन दोनों सूबों में जमीनी स्तर पर मजबूत रही है। आलाकमान को पता है कि एक भी सूबा जीतते ही पार्टी फिर हॉट हो जाएगी। लेकिन उसके लिए जरूरी है नेताओं का समर्पण और रणनीति।

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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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